MahilaMahavidyalaya-SpecialCamp
mahila mahavidyalay kidwai nagar kanpur NSS के विशेष शिविर के पाँचवे दिन स्वयंसेविकाओ द्वारा श्वेत वस्त्र धारण करयोग अभ्यास करके प्रथम सत्र का प्रारंभ किया गया! जिसमें बस्ती के बच्चों ने भी योग क्रियाएँ सीखीं साथ ही कार्यक्रम अधिकारी डा0 सबा यूनुस ने सभी volunteers को योग को दैनिक दिनचर्या में शामिल करने हेतु प्रोत्साहित किया एवं योगासन् के लाभ भी बताये- जैसे- 1) योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह हैं कि वे सहज साध्य और सर्वसुलभ हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेषव्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है। (2) योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं। (3) आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचावदूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापस मिल जाती है। शरीरऔर मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलगमहत्त्व है। (4) योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है। (5) योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बड़ियां उत्पन्ननहीं होतीं। (6) योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं। (7) योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला व्यक्ति तंदरुस्त होता है। (8) योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि केगुण उत्पन्न करते हैं। (9) योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होतीहैं और आत्मा-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं। (10) योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, अत: मन और शरीर कोस्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है। (11) योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा करसंकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं। (12) योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है और वह अपने कार्यसुचारु रूप से करते हैं। (13) आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को नीरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं। (14) आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। (15) योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांचमुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों काअधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगसन मानव का चहुँमुखीविकास करते हैं। तत्पश्चात् स्वल्पाहार के बाद सभी स्वयंसेविकाओं ने थोड़ी देर विश्राम किया फिर द्वितीय सत्र में सभी स्वयंसेवकों एवं बस्ती के बच्चों के लिए स्वास्थ परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत वरिष्ठ डॉक्टर S.S.Rathore द्वारा सभी का स्वास्थ परीक्षण कियागया व नुस्ख़ा भी लिखा गया! इसी तरह विशेष शिविर के पाँचवे दिन का भी समापन हो गया!