सात दिवसीय शिविर का पांचवा दिन
आज दिनांक 16 मार्च 2024 को लक्ष्मी यदुनंदन महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के विशेष शिविर का पांचवा दिन था। प्रातः काल प्रभात फेरी के बाद स्वयंसेवकों ने कैंप स्थल की साफ सफाई की तत्पश्चात स्वयंसेवकों ने गांव में जाकर ग्रामीणों के जनांकिकी, शैक्षणिक, मतदान पहचान पत्र ,तथा आसक्त, निराश्रित और वंचित वर्ग के लिए सरकार द्वारा संचालित लाभार्थी योजनाओं से संबंधित आंकड़ों को प्राप्त करने के लिए सर्वे किया । ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए स्वयंसेवकों द्वारा स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली गई । बौद्धिक सत्र में डॉक्टर मनीषा सक्सेना ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है तो पोषण युक्त न्यूट्रिएंट्स लेना अति आवश्यक है क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ होना अति आवश्यक है। इसी क्रम में डॉक्टर सक्सेना ने छात्राओं से कहा कि आप भाग्यशाली है आप के अभिभावकों ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर आपको प्रदान किया है अतः इस अवसर का यदि आप सदुपयोग कर जीवन में उन्नति प्राप्त करेंगी तो समाज में बाकि बच्चियों के लिए भी आप उदाहरण बनेंगी जिससे उन्हें अपने विकास के लिए आजादी का और अधिक क्षितिज उपलब्ध होगा। महाविद्यालय के ही असिस्टेंट प्रोफेसर श्री सतनारायण सिंह ने , "विकसित भारत में महिलाओं की भूमिका" विषय पर अपना विचार रखते हुए कहा कि प्राचीन भारत में परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति अत्यंत सुदृढ़ थी। किंतु मध्यकालीन भारत में जब देश वैदेशिक आक्रमणों का शिकार हुआ तो भारतीय समाज में अनेक विकृतियां पैदा हुई जिससे महिलाओं की समाज में स्थिति दोयम दर्जे की हो गई हो गई । किंतु वर्तमन में अनेक सकारात्मक परिवर्तनों के कारण महिलाएं समाज के विभिन्न आयामों में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही हैं। जब जब उन्हें उचित अवसर मिला है तो वह पुरुषों के बराबर नहीं बल्कि उनसे आगे भी निकली हैं। इसीलिए देश तभी विकसित होगा जब हर क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ेगी । अंतिम में कार्यक्रम अधिकारी श्री नरेंद्र मिश्रा ने कहा कि कोई भी परिवार समाज और राष्ट्र अपनी आधी आबादी को पीछे छोड़कर विकसित नहीं हो सकता। महिलाएं परिवार की रोशनी ही नहीं है बल्कि उस रोशनी की लौ होती हैं । भारत यदि अपनी इस रोशनी और लौ का समुचित प्रयोग करने में सक्षम होगा तो निश्चित रूप से हम भारत को भी एक विकसित राष्ट्र बना सकते हैं । विवेकानंद ने कहा है कि जैसे कोई पक्षी एक पंख से नहीं उड़ सकता उसी तरह कोई भी राष्ट्र महिलाओं अर्थात आधी आबादी के सहयोग के अभाव में तरक्की नहीं कर सकता है। अतः यदि हमें देश को विकसित करना है तो अपनी आधी आबादी को अधिक से अधिक आजादी और अवसर उपलब्ध कराना होगा ताकि उनकी क्षमता का दोहन राष्ट्र के विकास के लिए हो सके ।