दिनांक 27 फरवरी को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय परिसर की राष्ट्रीय सेवा योजना की पंचम इकाई द्वारा सात दिवसीय विशेष शिविर के चतुर्थ दिन ग्राम- सचिवालय, ग्राम -होरा कछार में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया।
प्रातः स्वयंसेवकों द्वारा सरस्वती मां की प्रार्थना की गई।
योगाभ्यास के पश्चात् स्वयंसेवक गांव में स्थित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय गए तथा वहां बच्चों को हाईजीन के संबंध में बताया। उन्हें स्वच्छता के लाभ बताए। उन्होंने विद्यार्थियों को पढ़ाया भी।
स्वयंसेवकों हेतु चार तकनीकी सत्र आयोजित हुए।
प्रथम तकनीकी सत्र में श्री धर्मेंद्र कुमार सिंह, सचिव, सम्राट अशोक मानव कल्याण एवं शिक्षा समिति, ने सामुदायिक सेवा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए स्वयंसेवकों से कहा कि विद्यार्थियों में सेवा की भावना होना आवश्यक है। किसी भी कारण से सेवा करें, सेवा अवश्य करें।
सामुदायिक सेवा से सभी का जुड़ना अत्यंत आवश्यक है। समाज को अपना कार्य स्वयं करने के लिए भी प्रेरित करना भी सेवा कार्य है।
विद्यार्थी ग्रामीणों से बात चीत करें।
पारस्परिक जुड़ाव एवं व्यक्तिगत सामंजस्य स्थापित करें। मन कमाएं, मन कमाने का सुकून आनंददायक होता है।
अच्छी सेवा की यादें/ सेल्फी/ फोटो कभी भी डिलीट नहीं होती हैं।
वे हमेशा हृदय में निवास करती हैं।
उन्होंने विद्यार्थियों से उनके सेवा कार्य के बारे में अपने अनुभव भी सुने।
दीक्षा एवं शिवपाल यादव ने अपने अनुभव सभी के साथ साझा किए।
दूसरे तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय के आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. संदीप कुमार सिंह ने सामाजिक कुरीतियों से बचने के उपायों पर चर्चा की।
उन्होंने विद्यार्थियों से सामाजिक कुरीतियों के बारे में पूंछा।
विद्यार्थियों ने बाल विवाह, दहेज, अंधविश्वास, महिलाओं के साथ भेदभाव, भ्रष्टाचार आदि का नाम लिया।
प्रो. संदीप कुमार सिंह ने कहा देश की आधी आबादी( महिलाओं) का मुख्य धारा से दूर होना तथा उन्हें समान अवसर न मिलना अधिकांश कुरीतियों का मुख्य कारण है।
समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर तथा उन्हें समान अवसर देकर हम सामाजिक कुरीतियों को कम कर सकते हैं। महिला परिवार की धुरी होती है।
महिला को शिक्षित एवं शसक्त बनकर हम बहुत सी कुरीतियों को समाप्त कर सकते हैं।
तृतीय तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय परिसर की एलुमनाई एसोसिएशन के सचिव डॉ विवेक सिंह सचान ने विद्यार्थियों को पब्लिक रिलेशन एवं कम्युनिकेशन को अच्छा बनाने में विशेष शिविर की भूमिका पर प्रकाश डाला।
विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ फार्मास्युटिकल साइंसेस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अजय कुमार गुप्ता ने प्रकृति एवं दवाइयों के संबंध में चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को बताया कि अधिकांश दवाईयां प्रकृति द्वारा उत्पन्न किए गए पौधों से बनाई जाती हैं। अतः हमें प्रकृति को अच्छा बनाए रखना आवश्यक है।
सभी विद्यार्थी प्राकृतिक वातावरण को अच्छा बनाए रखने में अपना योगदान दें तथा सभी को इस हेतु प्रेरित करें।
विद्यार्थियों ने विशेषज्ञों से प्रश्न पूंछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।
कार्यक्रम अधिकारी डा प्रवीन कटियार ने वक्ताओं को स्मृति चिह्न भी भेंट किए।
शिविर में नाश्ते, भोजन, चाय आदि को बनाने तथा बर्तनों एवं परिसर की साफ सफाई स्वयंसेवको द्वारा ही की जाती है।
सांय को हार्टफुलनेस संस्था के प्रशिक्षकों ने ध्यान का अभ्यास सभी को कराया।
स्वयंसेवकों ने सभी के साथ विशेष शिविर के अपने अनुभव भी साझा किए।
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