आज दिनांक 26 फरवरी 2025 को अविका डिग्री कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वामी विवेकानंद इकाई द्वारा आयोजित शिविर के सातवें दिन का मुख्य विषय "साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता अभियान" था। इस दिन के कार्यक्रम का उद्देश्य स्वयंसेवकों को साइबर अपराधों से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना था, ताकि वे डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रह सकें। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी, डॉ. पल्लवी यादव के दिशा-निर्देशन में प्रथम सत्र की शुरुआत NSS लक्ष्य गीत और योगासन के साथ हुई। योगासन के माध्यम से स्वयंसेवकों को शारीरिक और मानसिक सुदृढ़ता का अहसास कराया गया, जिससे वे आगामी सत्र में पूरी तरह से सतर्क और सक्रिय रह सकें। इसके बाद, साइबर क्राइम विषय पर एक बौद्धिक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. पल्लवी यादव ने साइबर क्राइम और इसके खतरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।डॉ. यादव ने स्वयंसेवकों को डिजिटल दुनिया में होने वाले विभिन्न साइबर अपराधों जैसे कि हैकिंग, फिशिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी, आदि से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कैसे अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और इंटरनेट का दुरुपयोग करते हैं, और किस प्रकार इन अपराधों से बचने के उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, डॉ. यादव ने डिजिटल अरेस्ट के बारे में भी बताया, जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा साइबर अपराधों के तहत अनवांछित गतिविधियाँ करने पर कानूनी दंड दिया जा सकता है। महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. हरिओम प्रजापति ने भी इस विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने सोशल मीडिया एप्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, आदि के सुरक्षित उपयोग के बारे में स्वयंसेवकों को चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि हमें अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए और साथ ही, उन्होंने स्वयंसेवकों को डिजिटल प्राइवेसी के प्रति सजग रहने की सलाह दी। इस दौरान, स्वयंसेवकों ने साइबर क्राइम और उसकी रोकथाम से संबंधित कई सवाल किए। डॉ. हरिओम ने सभी सवालों का संतोषजनक उत्तर दिया और उन्हें साइबर सुरक्षा से संबंधित जरूरी कदमों को अपनाने की सलाह दी। इन उत्तरों ने स्वयंसेवकों को जागरूक किया और उन्हें साइबर अपराधों से बचने के लिए ठोस उपायों को समझने में मदद की।
द्वितीय सत्र में शिविर समापन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने गीत, भजन, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने उत्साह और ऊर्जा को दर्शाया। यह सत्र बहुत ही आनंददायक और प्रेरणादायक रहा, क्योंकि स्वयंसेवकों ने अपने सामूहिक प्रयासों से शिविर के समापन को सार्थक बनाया। कार्यक्रम का समापन एक सकारात्मक और प्रेरणादायक नोट पर हुआ, जिसमें स्वयंसेवकों ने अपने अनुभव साझा किए और शिविर में प्राप्त ज्ञान को अपने जीवन में लागू करने का संकल्प लिया।
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