कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के विशेष शिविर का छठवाँ दिनः 20/03/2024
कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय, स्वरूप नगर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा दिनांक 15/03/2024 से 21/03/2024 तक छोटी गुटैया बस्ती, स्वरूप नगर में आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के छठवें दिन आज दिनांक 20/03/2024 को “सड़क सुरक्षा- जीवन रक्षा” एवं “जल संरक्षण” विषय केंद्र में रहा। प्रतिदिन की भाँति शिविर की दैनिक गतिविधियों को चार सत्रों में विभाजित किया गया। प्रथम सत्र की शारीरिक गतिविधियों में ध्यान प्राणायाम एवं शारीरिक प्रशिक्षण का अभ्यास कराया गया। इस सत्र का संचालन महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की पुरा स्वयंसेविका सताक्षी सिंह ने किया। उन्होंने प्राणायाम, शारीरिक प्रशिक्षण के साथ साथ स्ट्रेचिंग का भी अभ्यास कराया। शिविर के द्वितीय सत्र में “दैनिक पाठशाला” में बस्ती के बच्चों को शरीर के अंगों के नाम, महीनों के नाम और ऋतुओं के नाम बताए गए। उन्हें जल तथा अन्य प्राकृतिक संपदाओं के संरक्षण के विषय में भी रोचक तरीक़े से बताया गया। शिविर के तृतीय सत्र में जल संरक्षण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ऑंचल तिवारी ने स्वयंसेविकाओं को बताया कि जल संकट भविष्य में विकराल रूप धारण करने वाला है। विश्व के कई देश जल की कमी से जूझ रहे हैं। यहाँ तक कि भारत में कई राज्य एवं शहर ऐसे हैं जहाँ पर निकट भविष्य में भूजल पूरी तरह से समाप्त होने की कगार पर है। बंगलुरु में जल संकट की स्थिति भयावह है। ऐसे में जल संरक्षण एवं भूजल का स्तर बढ़ाने का अविलंब प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं। कुमकुम विश्वकर्मा, कशिश सक्सेना, परवीन ख़ान की आदि स्वयंसेविकाओं ने इस विषय पर अपने सुझाव भी दिए। मध्यान्ह भोजन के पश्चात् शिविर के चतुर्थ सत्र में “सड़क सुरक्षा- जीवन रक्षा” विषय पर केंद्रित गतिविधियां आयोजित की गईं। स्वयंसेविकाओं ने चार्ट एवं पोस्टर के माध्यम से सड़क पर पैदल व वाहन से चलने के सामान्य नियम समझाए। सड़क दुर्घटनाएँ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ हैं। हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट नहीं लगाना, मद्यपान करके वाहन चलाना, फ़ोन पर बात करते हुए वाहन चलाना इत्यादि बार बार दोहराई जाने वाली गलतियाँ है। सतर्कता एवं समझदारी से इन सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। बस्ती के लोगों से वार्तालाप करके इस विषय में उन्हें समझाया गया। इसी विषय पर आधारित एक लघु नाटिका का मंचन स्वयंसेविकाओं ने किया। अंत में स्वयंसेविकाओं ने समापन सत्र के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी प्रारंभ की।